मिले हर ज़ख्म को मुस्कान से सीना नहीं आया
अमरता चाहते थे पर ज़हर पीना नहीं आया
तुम्हारी और मेरी दास्ताँ में फर्क इतना है
मुझे मरना नहीं आया, तुम्हें जीना नहीं आया.....
अमरता चाहते थे पर ज़हर पीना नहीं आया
तुम्हारी और मेरी दास्ताँ में फर्क इतना है
मुझे मरना नहीं आया, तुम्हें जीना नहीं आया.....