"हमें दो पल सुरुरे-इश्क में मदहोश रहने
दो ,
ज़ेहन की सीढियाँ उतरो,अमां ये जोश
रहने दो,
तुम्ही कहते थे"ये मसले,नज़र
सुलझी तो सुलझेंगे,
नज़र की बात है तो फिर ये लब
खामोश रहने दो."
दो ,
ज़ेहन की सीढियाँ उतरो,अमां ये जोश
रहने दो,
तुम्ही कहते थे"ये मसले,नज़र
सुलझी तो सुलझेंगे,
नज़र की बात है तो फिर ये लब
खामोश रहने दो."