तमन्ना ही कुछ ऐसी थी हमारी की आरजू बेअसर हो गयी
तुम्हारे आने के इंतजार में ये राते तमाम हो गयी
उस महफ़िल में जाने से हम डरते थे न जाने क्यों
जहाँ हमारी मोहब्बत तेरी जुस्तजू के संग नीलाम हो गयी
जब उनका जिक्र आया है तो जाम भी छलकेंगे अब
जाम में उनका अश्क आते ही वो बदनाम हो गयी
जिनकी यादों के उजाले से रौशन थी जिन्दगी मेरी
उनकी यादें अब सावन की रात में खो गयी
तेरी आशिकी मुझको जीना सिखा गयी
मौत आयी जब दर पर मुझे तेरी याद आ गयी
मोहलत मागता रहा अपनी मौत से कुछ पल की
तरस न आयी उसे वह मुझको ठुकुरा गयी....